वो जैसा है, वैसा रहने दो दूसरो की चिंता छोङ, उसे एक बार गिरने तो दो आगे बढते हुए वह चोट भी खाएगा पर एक बार उसे चलने तो दो। वो जैसा है, वैसा रहने दो पछतावे, गिले, शिकवे- दिल मे लाने तो दो खुशियों की राह पर गम तो होंगे ही पर एक बार उसे खङे होने तो दो। वो जैसा है, वैसा रहने दो शैतानों की इस भीङ मे शायद वो आज बिखर जाए अंदर का इंसान शायद कही सिमट जाए पर एक बार उसे खुद को खोने तो दो। वो जैसा है, वैसा रहने दो आज नींद मे देखे उस सपने ने उसे जीवंत करा है विफलता का खौफ भी दिल मे जगह बना रहा है पर एक बार आज उसे सपना देखने तो दो। वो जैसा है, वैसा रहने दो जीवन से थक कर शायद आज वह अपना संयम खो दे तूफान भरे समंदर मे आज शायद वो हिम्मत हार जाए पर एक बार उसे इस समंदर मे अपनी नौका की सैर करने तो दो। वो जैसा है, वैसा रहने दो शायद वह उन अपेक्षाओं पर खरा ना उतर पाए बेबस होकर आज शायद वह हिम्मत हार जाए अगर हाथ ना बढा पाओ मदद का पर ना काँट देना उस उङते पंक्षी का आज एक बार उसे खुले आसमान मे साँस लेने तो दो। हक किसने है दिया तुम्हें उसे कुचलने का जमीन से उग रहे उस पौधे को पेङ ना...
Consciously read the words I write, for these are the words I fail to say.